मध्यप्रदेश मे तापमान में गिरावट आने आ अनुमान बढेंगी ठंडी हवाओं की रफ्तार

चक्रवाती  तूफान "महा" के अवशेष के  रूप में पूर्वोत्तर अरब सागर और दक्षिण गुजरात तट से सटे इलाकों में अच्छी तरह से चिह्नित कम दबाव का क्षेत्र कम चिह्नित हो गया है, हालांकि औसत समुद्र तल से 2.1 ऊपर तक संबद्ध चक्रवाती परिसंचरण उसी   क्षेत्र में बना हुआ है। 
चक्रवाती परिसंचरण के रूप में पश्चिमी विक्षोभ अब जम्मू-कश्मीर और उससे सटे उत्तरी पाकिस्तान पर औसत समुद्र तल से 3.1 और 5.8 किलोमीटर के बीच स्थित है। 
पश्चिमोत्तर राजस्थान और उससे सटे हुए क्षेत्रों  में प्रेरित चक्रवाती परिसंचरण अब औसत समुद्र तल से 1.5  और 2.1  किमी के बीच पंजाब और उससे सटे मध्य पाकिस्तान पर स्थित है । 
 11नवंबर रात के बाद से पश्चिमी हिमालय क्षेत्र पर एक ताजा कमजोर  पश्चिमी विक्षोभ के द्वारा  प्रभावित होने की संभावना है. .अगले तीन दिनों के दौरान  पश्चिमी मध्य प्रदेश  में न्यूनतम तापमान में 2-4 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आने की संभावना है परन्तु पूर्वी मध्य प्रदेशमें तापमान सामान्य से अधिक बने रहने की सम्भवना है. 14 से 20 नवंबर तक  मध्य प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम न्यूनतम तापमान में क्रमिक गिरावट होने की संभावना है एवं इस दौरान मध्य प्रदेश का मौसम .शुष्क बने रहने की बहुत संभावना है.  चक्रवाती तूफान बुलबुल के बाद निकट भविष्य में भारतीय महासागरों में चक्रवाती तूफान की संभावना नहीं है. पश्चिमी मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में कहीं कही वर्षा  और गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ेंगी,
पश्चिमी विक्षोभ शीत कालीन में मौसमी नहीं रहे हैं और एक साल तक चलने वाली मौसम प्रणाली  हैं जो सूर्य की स्थिति से संचालित होते हैं । सर्दियों में सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध की ओर यात्रा शुरू होता है के अनुरूप , अक्टूबर और फरवरी के बीच पश्चिमी विच्छोपों  की भी निचले  अक्षांश में यात्रा शुरू करतें है और  पश्चिमी हिमालय के साथ साथ सटे हुए उत्तरी मैदानी इलाकों  के साथ साथ मध्य प्रदेश के मौसम को भी प्रभावित करतें है  पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी के लिए ये मौसम प्रणालियां जिम्मेदार हैं। और वर्फ पिघलने के बाद अनुकूल हवा का रुख रहने पर उत्तर के मैदानी इलाकों एवं उससे सटे क्षेत्रों पर कोहरा सर्दी एवं शीत लहर की स्थिति बनती है. पश्चिमी विक्षोभ के पूर्व की ओर  जाने  के बाद, उत्तरी बर्फीली ठंडी हवाएं उत्तरी मैदानी इलाकों में  तापमान में गिरावट का कारण बनतीं  हैं जो अब वर्फवारी के बाद ऐसा  स्थिति बनाने की संभावना है । अब यह स्थिति बनने की संभावना है सुबह/शाम के समय और दोपहर के समय तापमान में भारी अंतर दिखने को मिलेगा।